Kavya Soni

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -05-Nov-2022 तुलसी विवाह

सुनो ये रोचक और सुंदर वर्णन

हरी चरणों में यह गाथा है अर्पण
थी एक सुंदर सुकुमारी
वृंदा नाम की ये राजकुमारी
बड़ी ही थी प्यारी
धर्म रखती वो बड़ी आस्था
हरी दर्शन प्यासी
तकती हरी का रास्ता
विष्णु भक्त थी वो सुकुमारी
इनकी गाथा बड़ी ही प्यारी
दानव कुल में जन्म पाया
दानवराज जालंधर को
जीवनसाथी के रूप में पाया
सच्ची श्रद्धा से पतिव्रत धर्म निभाया
जालंधर था देव शत्रु पुराना
देवप्रस्थ को चाहा उसने पाना
वृंदा की भक्ति और पतिव्रत धर्म
बना जालंधर की ढाल
देव को किया बुरा हाल

नारायण ने योजना बनाई
छल नीति हरी ने अपनाई
धरकर रूप जालंधर का
पहुंच वृंदा के पास
छली गई वृंदा हुआ जब आभास
पतिव्रत धर्म नष्ट हुआ
जालंधर के प्राणों को कष्ट हुआ
रण में छिन गए पिया के प्राण
बेसुध हुई वृंदा जब हुआ 
अनहोनी का भान

सुकोमल वो सुकुमारी
पिया के विरह से वो दुखहारी
विष्णुजी को दे दिया श्राप
छल कर के किया आपने महापाप
भक्ति की मेरी ना रखी लाज
पत्थर का ह्रदय आपका
दया जरा आई
पत्थर की मूरत बन जाओ 
भक्ति मेरी बिसराई
विरह प्रिय का आप भी सहोगे
बिछड़ कर प्रिय से व्यथित आप भी रहोगे
सुनकर वृंदा का करूं संताप
लक्ष्मी आई वृंदा के पास
विनती करुण अपनी सुनाई
वृंदा का ह्रदय को पिघलाई
हुई द्रवित माता तुलसी
दिया वरदान
श्री हरि की निराली ये माया
विधान हरी ने ये बनाया

तुलसी पेड़ के रूप में  वृंदा आयेगी
सालिग्राम रूप में मुझे पाएगी


मुझे अति प्रिय एकादशी
पूरी होगी मन को चाह
कार्तिक  शुक्ल पक्ष की
एकादशी को होगी तुलसी विवाह


   16
9 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 04:50 PM

शानदार

Reply

Suryansh

07-Nov-2022 06:41 PM

Wahhhh बहुत ही खूबसूरत रचना

Reply

शानदार सृजन

Reply